मांडू: घूमने के शौकीनों के लिए यहां दिखेगी खास ‘लव स्टोरी’

मध्यप्रदेश में धार से करीब 35 किलोमीटर दूर प्राकृतिक सौंदर्य, पुरातात्विक व ऐतिहासिक महत्व से भरा एक पर्यटक स्थल है – “मांडू”

jahaj
PC: mouthshut.com

यहां आपको बहुत सी पुरानी इमारतें और सुनने को काफी सारी कहानियाँ मिलेंगी. मांडू में बादशाह बाज बहादुर और रानी रूपमती ने कई वर्ष पहले बहुत से महलों को बनवाया था. ये महल ऊंची पहाड़ियों में बने हैं और चारों ओर हरियाली की चादर ओढ़े हुए हैं. इसी कारण यह मांडू के बड़े ही महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गए हैं.

मालवा की पारंपरिक दाल और दाल बाटी और मालपुओं और मालवा के भोजन के साथ ही मध्यप्रदेश पर्यटन द्वारा यहाँ मालव़ा उत्सव का आयोजन किया जाता है. जिसमें काफी पर्यटक मालवा संस्कृति से वाकिफ होने आते हैं. माण्डू का कार्यकाल परमार काल, सुल्तान काल, मुगल काल और पॅवार काल ने मुख्यतः देखा है.

पर्यटकों के आकर्षण:
मांडू में लगभग 12 प्रवेश द्वार है, जो मांडू में 45 किलोमीटर के दायरे में मुंडेर के समान निर्मित हैं. मांडू में प्रवेश करने से पहले, अंदर के रास्ते में कई दरवाजों को पार करना पड़ता है जैसे- आलमगिर, भंगी दरवाजा, देहली दरवाजा, काबानी दरवाजा. मांडू के पीछे दो मुख्य द्वार हैं, सोनगढ़ दरवाजा और तारापुर दरवाजा.

इन दरवाजों में दिल्ली दरवाजा प्रमुख है. यह मांडू का प्रवेश द्वार है. इसका निर्माण साल 1405 से 1407 के मध्य में हुआ था. यह खड़ी ढाल के रूप में घुमावदार मार्ग पर बनाया गया है, जहाँ पहुँचने पर हाथियों की गति धीमी हो जाती थी.

shah tomb

प्रमुख आकर्षण:
• होशंगशाह का मकबरा

• मांडू की जामी मस्जिद

• अशर्फी महल

• बाज बहादुर का महल

• रानी रूपमती का मण्डप महल

• नीलकंठ तीर्थ महल

• जहाज महल

• हिंडोला महल

• इको पाइंट

• काकड़ा खो

•दरिया खां का मकबरा अनेक प्रकार की गुफाएं और मंदिर

मुगलों से पहले, मांडव-किला भारत के बेहतरीन किलों में से एक था.

रानी रूपमती का महल –
यह रानी रूपमती और बादशाह बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है. इस महल को बाज बहादुर ने अपनी रानी के लिए ऊंची पत्थर की चट्टानों पर बनवाया था. इन चट्टानों की ऊंचाई 400 मीटर है. लोगों का कहना हैं कि यहां पर रानी रूपमती सुबह उठकर पहले नर्मदा नदी के दर्शन करती थी और बाद में अन्न ग्रहण करती थी. जिसके कारण बादशाह में महल को ऊंचाई पर बनवाया था ताकि रानी को नर्मदा माता के दुर्लभ दर्शन हो सके.

mandu

जहाज महल –
इसे दो कृत्रिम तालाबों के बीच बनाया गया है. यह वास्तुकला का बड़ा ही सुन्दर नमूना है. जहाज़ महल अपनी सुन्दर महराबों, मण्डपों आदि के कारण बहुत प्रसिद्ध है. दूर से इस महल को देखने पर लगता है कि जैसे पानी में जहाज तैर रहा हो.

हिंडोला महल –
इस महल का निर्माण हुशंगशाह के शासन काल में कराया गया था. इसमें राजा बैठकर अपनी प्रजा की समस्याओं को सुना करते थे. यह महल एक तरफ से झुका होने के कारण दूर से देखने पर झूले जैसा दिखाई देता है. इसलिए इसे हिंडोला महल कहा जाता है.

जामा मस्जिद – जामा मस्जिद मांडू की प्रमुख इमारतों में से एक है. इसे बनाने का निर्माण होशंगशाह ने प्रारंभ किया था. यह मस्जिद अंदर से देखने पर बहुत ही खूबसूरत दिखाई देती है.

मांडू का इतिहास:
माना जाता है कि दसवीं शताब्दी में मांडू का किला कन्नौज के गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य द्वारा सीमान्त चौकी के रूप में प्रयोग किया जाता था. दसवीं सदी के अंत में परमार वंश शक्तिशाली रूप में उदय हुआ. राजा मुंज और राजा भोज के समय तत्कालीन उत्तर भारत में मालवा एक स्वतंत्र व शक्तिशाली राज्य बनकर उभरा. इन राजाओं ने पहले उज्जैन और फिर धार को अपनी राजधानी बनाया. पश्चिम में सोमनाथ के मंदिर पर हमलों के समय गजनी के महमूद ने मालवा से दूर ही रहना ठीक समझा. परमार वंश के राजाओं ने किले के परिसर में लोहानी गुफाओं के पास कई मंदिर और इमारतें बनवाई. मांडू में राजा मुंज की स्मृति में आज भी मुंज तालाब बना हुआ है. राजा भोज देवी सरस्वती के उपासक थे. खंडहरों में इस देवी की मूर्ति भी मिली है.

माण्डू को रचाने-बसाने का प्रथम श्रेय परमार राजाओं को है. हर्ष, मुंज, सिंधु और राजा भोज इस वंश के महत्वपूर्ण शासक रहे हैं.

दिलावर खां गोरी ने इसका नाम बदलकर शादियाबाद (आनंद नगरी) रखा. होशंगशाह इस वंश के महत्वपूर्ण शासक थे.

hosh

महमूद खिलजी ने मेवाड़ के राणा कुम्भा पर विजय के उपलक्ष्य में अशर्फी महल से जोड़कर सात मंजिला विजय स्तंभ का निर्माण कराया (अब इसकी केवल एक ही मंजिल सलामत है). गयासुद्दीन इस वंश के अगले शासक थे. फरिश्ता के अनुसार उसकी 15000 बेगमें थीं, माण्डू में उन्होंने शाही महल का निर्माण अपनी बेगमों के लिए कराया. 500 अरबी और 500 तुर्की महिलाएं उसकी अंगरक्षक होती थीं. अगले शासक नासिरुद्दीन ने रूपमती-बाजबहादुर का महल बनवाकर उनके प्रेम कथानक को अमर बनाया.

साल 1617 में जहांगीर जब माण्डू आएं तब नूरजहां उनके साथ थीं. नूरजहां ने जलमहल में एक लड़की को जन्म दिया. सम्राट जहांगीर ने इसी अवसर पर सर टामस रो को प्रसव चिकित्सा के लिए माण्डू आमंत्रित किया था और इस चिकित्सा से खुश होकर उसने अंग्रेजों को मांडू में व्यापार की अनुमति दी थी.

ताजमहल की प्रेरणा भी माण्डू स्थित होशंगशाह का मकबरा है.

रानी रूपमती और बाजबहादुर का अमर प्रेम:
आज भी माण्डू को रानी रूपमती और बाजबहादुर के अमर प्रेम के लिए याद किया जाता है. बाजबहादुर अपने समय के संगीतज्ञ थे. अबुल फजल तो उन्हें महानतम संगीतज्ञ कहते हैं. फरिश्ता के अनुसार वह राग दीपक के उस्ताद थे. किन्तु उनकी प्रेयसी पर बादशाह की नजर लग गई. इसका परिणाम यह हुआ कि रानी रूपमती को जहर खाकर अपनी जान देनी पड़ी. बाजबहादुर कुछ दिनों तक अकबर के मनसबदार रहे लेकिन रूपमती के वियोग ने उन्हें अधिक दिनों तक जीने नहीं दिया और वह चल बसे. रूपमती खुद एक संगीत विशारद थीं. बाजबहादुर – रूपमती के महल में आज भी वह भवन सुरक्षित है जिसमें रूपमती ने संगीत सम्राट तानसेन को हराया था.

‘माण्डू सिटी ऑफ जॉय’ के लेखक गुलाम यजदानी के मुताबिक़,
माण्डू के भवन रोमन, ग्रीक ईरानी, यूनानी, गैथिक, अफगान और हिंदू शैली से बने हैं. हिंदू शैली में बने भवन मुख्य हैं- हिण्डोला भवन, जामी मस्जिद, होशंगशाह का मकबरा आदि हैं. पत्तियां, कमल के फूल, त्रिशूल, कलश, बंदनवार आदि इसके गवाह हैं. रूपमती मण्डप, बाजबहादुर महल दरिया खां का मकबरा, जहाज महल अफगान शैली में बने भवन हैं.

मांडू जाने का बेहतर समय
जुलाई से मार्च के बीच का समय मांडू जाने के लिए बेहतर है. लेकिन बरसात के मौसम में मांडू और खूबसूरत हो जाता है.

कैसे पहुंचे
रेल मार्ग से मांडू पहुंचने के लिए महू, इंदौर और खंडवा करीबी रेलवे स्टेशन हैं. इंदौर से मांडू की दूरी 98 किमी है. मध्य प्रदेश के अन्य शहरों से मांडू भलीभांति जुड़ा है और धार से प्रत्येक आधे घंटे पर मांडू के लिए बस सेवा उपलब्ध है. साथ ही साथ इंदौर, खंडवा, रतलाम, उज्जैन और भोपाल से भी नियमित बस सेवा है.

मांडू से दूरी:
धार से लगभग 33 किलोमीटर
इंदौर से लगभग 100 किलोमीटर

ठहरने के लिए –
माण्डू में ठहरने के लिए कई प्राइवेट और सरकारी होटल उपलब्ध हैं. मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के “मालवा रिसॉर्ट” और “मालवा रीट्रीट” नाम से दो होटल हैं, जहां नौ सौ से लेकर 18 सौ रुपये रोजाना तक किराये पर कमरे आपको उपलब्ध हो जायेंगे.

(आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं. अपनी राय भी हमसे शेयर करें.)

6 thoughts on “मांडू: घूमने के शौकीनों के लिए यहां दिखेगी खास ‘लव स्टोरी’

    1. जो जानकारी मांडू में लिखी है उसके अनुसार जब दुर्ग का निर्माण कार्य पूरा हो गया तो एक भंगी की बलि दी गयी. उसी की स्मृति में एक दरवाजे का नाम भंगी दरवाजा रखा गया है.

      Like

  1. Mandav ek bahut hi parchin or prachlit h jo rani roopmati ji ka mahal h or theek mahal ke pass se narmada nadi bhi prabhabit hoti h

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s