मज़ा सफ़र में होता है, साथ हमसफ़र हो या नहीं. सोलो ट्रैवेलिंग अपने आप में एक अनूठा अनुभव है. जहाँ आप खुद को और बेहतर तरीके से जान सकते हैं.
हमारे देश में सोलो ट्रैवलिंग का ट्रेंड जरा कम है, लेकिन अब काफी अधिक संख्या में लोग ख़ास कर यूथ अकेले ट्रैवेल करने में अपनी ख़ास दिलचस्पी दिखा रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं एक नए किस्म का एक्सपीरियंस तो ये कुछ टिप्स आपके काफी काम आएंगे.
शुरुआत
डेस्टिनेशन प्लान- अगर आपने इससे पहले सोलो ट्रैवेल नहीं किया है तो पहले अपना डेस्टिनेशन चुन लें. फर्स्ट टाइम सोलो ट्रैवेलिंग के लिए बेहतर होगा की रिमोट लोकेशन की बजाय पॉपुलर जगहों को चुनें.
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पॉपुलर जगहों में टूरिस्ट अट्रैक्शन के कारण आपको हर चीज आसानी से उपलब्ध हो जाएगी. ऐसे में आपके अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप सीखेंगे कि अकेले किन दिक्कतों से आपको रूबरू होना पड़ता है. और उनके उपाय क्या क्या हैं.
छोटी यात्राओं से शुरू कर के आप अपने ट्रैवेल का समय बढ़ा सकते हैं. छोटे ट्रिप्स से मिलने वाला अनुभव और आत्मविश्वास आपको आगे की ट्रिप्स के लिए बूस्ट कर देगा. आप वीकेंड से सोलो ट्रिप्स की शुरुवात कर सकते हैं. ऐसे में आसपास की जगह को पहले चुनें.
रिसर्च- किसी भी जगह के लिए सबसे अहम जो चीज है रिसर्च. किसी भी जगह के बारे आप जितना ज्यादा जानेंगे आपको घूमने में उतनी ज्यादा सहूलियत होगी. अपने डेस्टिनेशन के बारे में और आस पास की जगहों के बारे में होमवर्क करें. गूगल और गाइड बुक्स इसमें आपकी काफी मदद करेंगे.
मौसम की जानकारी जरूर ले लें. और आपके ट्रैवेल के वक़्त के मौसम का अनुमान भी कर लें.
होटल, होमस्टे या हॉस्टल की जानकारी भी आपको इन्टरनेट पर आसानी से मिल जाएगी. फेसबुक और quora में ऐसे ग्रुप्स तलाशें जो आपको उस जगह के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध करा सकें. ट्रैवेलर्स के लिए कई सारे डिस्कशन फोरम भी इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं. यहाँ कई ट्रैवेलर्स के एक्सपीरिएंस भी आपकी मदद करेंगे. साथ ही आप अपने सवाल भी यहाँ पूछ सकते हैं.
रूट मैप के हिसाब से आप अपने ट्रैवेल में आस-पास की जगहों को भी शामिल कर सकते हैं.
ट्रांसपोर्टेशन- कोशिश करें कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट ज्यादा इस्तेमाल हो. इससे आप सुरक्षित ट्रैवेल कर सकते हैं. प्राइवेट टैक्सी या कैब की तुलना में ये ज्यादा सेफ होता हैं.
मैप- अपनी डेस्टिनेशन का मैप अपने पास रखें. गूगल मैप का सहारा लें. आप जिस भी जगह ठहर रहे हों उस लोकेशन को आप वहां पहुच कर पिन भी कर सकते हैं, ऐसे में रास्ता भटकने पर गूगल बाबा आपकी मदद करेंगे.
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वजन हो कम- सारी प्लानिंग के बाद बारी आती है लगेज यानी सामान की. कोशिश करिए कि उतना सामान ही कैरी करें जिसके साथ आप आसानी से चल फिर सकें. ज्यादा सामान आपके सफ़र को सफरिंग भी बना सकता है.
बैकपैक को प्रेफरेंस दें. अपने साथ शैम्पू, लोशन, टूथपेस्ट और बाकी जरूरत की चीजों की छोटी बॉटल रखें.
सोलो ट्रैवेलिंग के ढेरों फायदे हैं
आप अपने हिसाब से घूम सकते हैं. जब मन चाहा घूमने जा सकते हैं, जब मन हुआ आराम कर सकते हैं. आपके ऊपर किसी और का प्रेशर नहीं होता. ग्रुप्स में घूमने का यह नुकसान भी होता है कि आपको सब के हिसाब से चलना पड़ता है लेकिन सोलो ट्रैवेलिंग आपको इंडिपेंडेंट बनाती है.
जब कोई साथ नहीं होता तो हम खुद ब खुद नए लोगों से बातें करते हैं, उस माहौल के अनुसार हो जाते हैं, और अपने नजरिये से चीजों को देखते समझते हैं. अकेले घूमते हुए हम ज्यादा समझते हैं और ज्यादा जिम्मेदार हो जाते हैं. ऐसे में कोई भी खराब अनुभव के जिम्मेदार भी आप ही होते हैं. ये आपके अन्दर आत्मविश्वास लाता है.
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very nice and interesting topic, thank you for sharing
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