पिछले अंक में हमने भीमबेटका की यात्रा पूरी की थी. इस ट्रैवलॉग में हम तवा डैम रिजॉट की खूबसूरती से आपको रूबरू कराएंगे. भोपाल से भीमबेटका और अब आगे की कहानी…
भीमबेटका से वापसी के बाद हमारी गाड़ी होशंगाबाद की तरफ मुड़ गई. इस समय मौसम बहुत सुहाना हो गया था. हल्की-हल्की बारिश की बूंदें और रास्ते की हरियाली इस यात्रा को और रोमांचक बना रही थीं. भीमबेटका से होशंगाबाद जाने वाला ये रास्ता उतना आसान नहीं था जितना गूगल मैप में दिख रहा था.
रात हो चुकी थी और साथ ही बारिश होने से किसी-किसी जगह पानी सड़क पर बह रहा था. ट्रकों की बहुतायत होने और थोड़ा पहाड़ी एरिया होने से गाड़ी चलाने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी. खैर हर यात्रा आपको कुछ न कुछ नया सिखाती ही है. गाड़ी चलाते-चलाते लगभग 28 किलोमीटर के बाद बुधनी के आसपास एक ढाबा मिला जहां थोड़ी भीड़ दिखाई पड़ी और हमने गाड़ी वहीं पार्क कर खुद को चाय की चुस्कियां के हवाले कर दिया.
वास्तव में यात्राओं में ही चाय का महत्व पता चलता है. जैसे गाड़ी में फ्यूल ज़रूरी है उसी तरह चाय भी मेरे शरीर का फ्यूल है. कुछ देर गप्पबाजी के बाद आगे का सफ़र शुरू किया. इस वक्त लगभग सभी लोग थक गए थे तो बातचीत बंद करके सिर्फ रेडियो पर ध्यान लगाये थे. गूगल मैप में जिस भाई के यहां जाना था उनका लोकेशन लगा रखा था. लेकिन दो बार उस जगह से गुजर जाने पर भी हम उनका घर खोज नहीं पा रहे थे. फिर हमने विशुद्ध भारतीय तरीका अपनाया. कार से उतर कर पास खड़े लोगों से पूछकर एड्रेस पता किया गया. और इस तरह पूछकर हम उनके घर पहुंचे. उनसे पहले ही बात हो चुकी थी.
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चूंकि वो किसी काम से बाहर थे सो उनके मकान मालिक से चाभी लेकर रहने की व्यवस्था की गई. ज़रूरत का सामान गाड़ी से निकाल कर रूम में रख लिया. अब मुंह-हाथ धोकर थोड़ा जान आयी लेकिन अब पेट में चूहे कूदने लगे थे. एक लोकल फ्रेंड को पूछा गया तो उसने गीकेवी होटल का नाम सुझाया. भूख तो लगी ही थी तो हम चल पड़े खाने की खोज में. और मुझे उम्मीद नहीं थी कि होशंगाबाद में इतना अच्छा खाना मिल पायेगा. गीकेवी में बहुत स्वादिष्ट खाना मिला. उसके पनीर का स्वाद आज भी मुझे याद आता है. भरपेट खाने के अच्छी नींद आना स्वभाविक था और वापस आकर हम गहरी नींद में चले गए.
अगले दिन हमारे भाई पूरे परिवार के साथ सुबह-सुबह आ पहुंचे. भरत मिलाप हुआ और भाभी व बच्चों से मिलकर बहुत अच्छा लगा. उनका आतिथ्य हम कभी नहीं भूलेंगे. सुबह नाश्ता करके कुछ प्लान किया गया कि तवा डैम रिजॉट जाया जाए. इस जगह के बारे में गूगल पर भी बहुत कम जानकारी है. खैर जितनी जानकारियां थी उनके आधार पर हमने यहां जाने के लिए अपनी गाड़ी को फर्स्ट गियर में डाला.
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वैसे तो होशंगाबाद से तवा डैम रिजॉट 47 कि.मी. है लेकिन रास्ता इतना खूबसूरत और हरियाली से भरा हुआ है कि आपका यहीं ठहरने का मन कर जायेगा. इस रास्ते में होशंगाबाद के बाद इटारसी आता है जो कि बड़ा रेलवे जंक्शन है और नजदीकी रेलवे स्टेशन भी.
इसकी अच्छी बात ये है कि यहां से आप मध्य प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी भी जा सकते हैं और तवा डैम रिजॉट भी. फिलहाल हम इटारसी को पीछे छोड़ते हुए मुख्य सड़क से दाहिनी ओर मुड़ गये हैं जहां बड़े-बड़े शब्दों में लिखा है – तवा परियोजना में आपका स्वागत है. बस इस रास्ते पर आगे बढ़ते ही आपको लगेगा कि इस तरफ कम ही लोग आते होंगे. इस पर बहुत कम ट्रैफिक है और बीच-बीच में गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है.
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सड़क के दोनों तरफ घना जंगल है और पता नहीं मुझे बार-बार लग रहा था कि बस टाइगर किसी भी ओर से आ सकता है. लेकिन लगभग 10 किमी चलने के बाद ना टाइगर आया और न ही हिरण. हां! इस वक़्त सामने फॉरेस्ट नाका ज़रूर आ गया था. हमने गाड़ी साइड में पार्क की और सामान्य रसीद कटवायी.
तवा नगर… बिल्कुल एक अलग तरह का एरिया है. यहां छोटी-छोटी दुकानें हैं और अधिकतर सरकारी क्वार्टर बने हुए हैं. जिनमें तवा परियोजना में काम करने वाले लोग रहते हैं. साथ ही यहां एक पुलिस स्टेशन भी है. चूंकि इस वक़्त भूख लगने लगी थी तो एक रेस्त्रां से समोसे और जलेबी पैक करवा लिए गये. फॉरेस्ट नाका से लगभग 03 किमी. की दूरी पर तवा डैम रिजॉट है.
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यहां आकर प्रकृति भी चाहती है कि आप सिर्फ उस से प्रेम करे. इसलिए यहां आपको मोबाइल का नेटवर्क भी कम ही मिलेगा. सिर्फ कुछ एरिया में बीएसएनएल है. पास में एक मोबाइल टावर का काम चल रहा था. पूछने पर मालूम हुआ कि जल्द ही यहाँ और मोबाइल नेटवर्क भी आ जाएंगे. खैर हम इन सब को दरकिनार करते हुए रिजॉट में एंट्री किये.
वैसे यहां तक तो सब सामान्य लग रहा था लेकिन जैसे ही हम पीछे की तरफ पहुंचे हमारी आंखें खुली ही रह गयी. सामने खूबसूरत तवा नदी और उसके पीछे हरियाली से लदी सतपुड़ा की श्रृंखलाएं. बहुत ही शानदार नज़ारा और इस एक नज़ारे ने सारी थकान उतार दी. हम पहले सनसेट प्वाइंट पर बैठकर सारे नज़ारे दिल की मैमोरी में कैद कर रहे थे. फिर नीचे तवा की तरफ बढ़े.
वैसे इस समय कम बारिश होने से पानी कम था वरना नीचे जाने की मनाही होती है. हम कुछ देर नीचे रुके और फेसबुक/इंस्टा के लिए शूट शुरू हो गया. इस फोटोशूट के चक्कर में हम अपने समोसे भी भूल गए. फिर याद आया और समोसे-जलेबी की दावत उड़ायी गयी. कुछ ही देर में बारिश शुरू हो गई. हम तुरंत भागकर सनसेट प्वाइंट पर आ गये.
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सामने एक क्रूज़ दिख रहा है था जो यहाँ का विशेष आकर्षण है. आप 30 मिनट तवा नदी में क्रूज़ का आनंद ले सकते हैं या फिर यहां से स्पेशल क्रूज़ लेकर मढ़ई भी जा सकते हैं. जो कि यहां से 56 किमी. की दूरी पर है. मढ़ई से ही सतपुड़ा नेशनल पार्क की शुरुआत होती है. हमें रिजॉट के ही एक कर्मी ने बताया कि यहां कई माईग्रेटरी बर्ड भी आते हैं. और अगर गौर से देखें तो दूर तवा और देनवा नदी का संगम दिखाई पड़ता है. रिजॉट के डीलक्स कमरों की बालकनी तवा की तरफ खुलती हैं. जो कि हनीमून कपल के लिए एक बेहतर च्वाइस हो सकते हैं. यहां एक रेस्तरां भी है जहां आप अपनी पसंद का खाना खा सकते हैं. इस रिजॉट में आ कर मुझे तो बहुत सकून महसूस हुआ.
प्राकृतिक सौंदर्य, ताज़ा हवा और पक्षियों की चहचहाहट की यादें लिए अब हम इस जगह से विदा ले रहे हैं. वैसे यहां से जाने का मन तो हो नहीं रहा है. लेकिन फिर भी जाना तो पड़ेगा ही. अगर आप भी अपना वीकेंड इस जगह बिताना चाहते हैं तो ज़रूर आइये. रुम बुकिंग के लिए एमपी टूरिज्म की साइट है ही.
कैसे पहुंचें- नजदीकी रेलमार्ग इटारसी है. वहां से यहां शेयरिंग गाड़ी या टैक्सी से आ सकते हैं.
घूमने का मौसम – अक्टूबर से अप्रैल का समय अच्छा है. लेकिन मानसून में भी यहां अच्छे नज़ारे दिखाई पड़ते हैं.
पिछली कड़ी: MP की वो ‘खास’ जगह जिसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं
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