यहां दिखते हैं ज़िंदगी के असली रंग

ज़िंदगी के असली रंग घुमक्कड़ी की उन पगडंडियों पर दिखते हैं जहां हम भटक रहे होते हैं ...

किले के उस हिस्से में अजीब सी मनहूसियत थी…

ये वो शहर है जो छूटता नहीं है, वह आपके मन के उस कोने में जाकर बस जाता है, जहाँ से उसे दूर करना नामुमकिन है…

नर्मदा परिक्रमा: ”ऐसी चिलम मैंने ज़िंदगी में पहली बार पी थी…”

हर आने-जाने वाला हमारे बारे में जानने को उत्सुक था क्योंकि हम दो अजीब दिखने वाले प्राणियों के साथ एक विदेशी महिला भी थी.

नर्मदा परिक्रमा: ”यहां हमें भगवान की तरह ट्रीट किया गया”

मुझे लगा था कि सांप वाली कहानी आज के लिए पर्याप्त होगी. लेकिन कुछ और कहानियां अभी बाकी थीं.

नर्मदा परिक्रमा: एक मज़ाकिया, दिलचस्प और प्यारे संन्यासी का साथ

हर कोई हैरान है कि इतनी कम उम्र में हम ऐसे सफ़र कर रहे हैं वो भी एक विदेशी लड़की के साथ…

नर्मदा परिक्रमा: घुटनों तक साड़ी पहनी नंगे पैर चलती वो महिला…

मुझे नर्मदा से प्यार हो रहा है, धीरे-धीरे, ठीक वैसे ही जैसे हर किसी ने मुझे इसे अपनाने को कहा था.