अगर आप सुकून की तलाश में हैं तो ये जगह बिल्कुल सही है

सुबह ही दिल्ली से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचा था. काफी टाइम बाद मुंबई आना उन सारी स्मृतियों को फिर ताज़ा कर गया जो चार साल पहले किसी संदूक में बंद करके रख दी थी.

जगहों की यही दिक्कत होती है वो आपकी जिंदगी के वो सारे पन्ने खोल देती हैं जो आप भुला देना चाहते हैं. खैर इन सब से बचने के लिए मैंने अपनी किताब निकाली और पढ़ना शुरू कर दिया. फिर थोड़ी देर में उससे भी उकता गया तो अपना मोबाइल निकाला और गूगल में टाइप किया.. ‘डीआईयू’…

diu 4

‘दीव’ अंग्रेजी के तीन अक्षरों का ये शब्द जितना छोटा दिखता है उतना ही बड़ा है इसका इतिहास, कला, संस्कृति, समुद्री तट और उससे भी बड़े- लोगों के दिल. जितना ज्यादा इसके बारे पढ़ता जा रहा था उतना ही मैं आश्चर्यचकित हुआ जा रहा था.

पता नहीं मेरे जैसे घुमक्कड़ से यह जगह अभी तक अनछुयी कैसे रह गयी. अभी तक सिर्फ ये तय था कि एक काम के सिलसिले में दीव की फ्लाइट पकड़नी है. लेकिन उस एक गूगल सर्च ने बहुत कुछ बदल दिया. तो उसी वक्त तय हुआ कि काम निपटा कर इस द्वीप के अनूठे रहस्यों को खोजा जाए और मुंह में पानी ला देने वाले गुजराती और पुर्तगाली व्यंजनों को चखा जाये.

diu 5

दोपहर के 11:30 बजे फ्लाइट में बैठ गया. लगा जैसे किसी खिलौने वाले प्लेन में बैठे हों. अलायंस एअर, एअर इंडिया की ही एक सबसाइडरी है जिसे रीजनल कनेक्टिविटी के लिए कुछ विशेष रूट पर ही चलाया जाता है.

खैर मजा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था कि अगर ये खिलौना रास्ते में ही खराब हो गया तो क्या होगा? विमान ने औपचारिकताएं पूरी करके उड़ान भरी. ऊपर से मुंबई को देखना बहुत ही खूबसूरत था. विशाल अरब सागर में तैरती नावें और शिपयार्ड किसी वाटर टैंक में तैरते खिलौनों की तरह लग रही थी.

एक जगह समुद्र किनारे सुनहरे रंग का पैगोडा बना था वह बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ रहा था. बाद में मालूम हुआ कि यह मुंबई में स्थित ग्लोबल विपासना सेंटर है.

diu 10

नज़ारों को निहारते और फोटोग्राफी करते हुये एक घंटा कैसे बीत गया मालूम ही नहीं पड़ा. पायलट की उद्घोषणा से हम सचेत हुये कि अब दीव में लैंड करने वाले हैं. दीव एयरपोर्ट मेट्रो सिटी वाले एयरपोर्ट की तुलना में काफी छोटा था. ऐसा लगता है कि आप किसी कस्बे के एयरपोर्ट पर खड़े हैं. एक बड़े से आराईवल हाल के बाद ही आप बाहर निकल जाते हैं. पर इन सब में मुझे बहुत आनंद आ रहा था.

*आइसल ऑफ काम
दीव को इस नाम से जाना जाता है. जिसका मतलब होता है- शांति का टापू. इसका यह नाम पुर्तगाली शब्द से लिया गया है. आप सोच रहे होंगे दीव का पुर्तगालियों से क्या संबंध है?

दीव 1535 से 1961 तक पुर्तगालियों के कब्ज़े में रहा. फिर 1961 में भारत सरकार द्वारा चलाये गये ऑपरेशन विजय के तहत गोवा और दमन के साथ यह द्वीप भी भारत में शामिल हो गया. फिर 1987 में गोवा अलग होने के बाद इसे दमन के साथ एक केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त है.

diu 11

एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही टैक्सी ड्राइवर मेरा इंतज़ार कर रहा था. मैंने अपना बैगेज गाड़ी में डाला और होटल की राह पकड़ी. दूसरा काम ये किया कि जिनसे मीटिंग थी उनको कॉल करके टाइम और मीटिंग प्लेस जान लिया. गाड़ी जल्द ही मुझे होटल ले आयी. वहां थोड़ी देर आराम करके अपनी मीटिंग की तैयारी में लग गया.

मीटिंग का समय 4:30 बजे का रखा गया था. नयी जगह थी तो मैं समय से थोड़ा पहले ही पहुंच गया. जिनसे मीटिंग थी वो भी समय से आ गये. लगभग 45 मिनट में हमारा ये ऑफिशियल काम खत्म हो गया.

एयरपोर्ट पर बैठे-बैठे मैंने ट्रिप प्लान बना लिया था. तो अब हमारी टैक्सी का चक्का घूमा गंगेश्वर मंदिर की ओर. यह मंदिर दीव से तीन किलोमीटर दूर फादूम नाम के गांव में स्थित है. यहां समुद्र के किनारे एक गुफा में पांच शिवलिंग स्थित है. ऐसा माना जाता है कि निर्वासन के दौरान पांडवों ने इन शिवलिंगों की स्थापना की थी. इसकी सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि ये शिवलिंग हाई टाइड आने पर समुद्र के पानी में डूब जाते हैं.

diu 2

शिव भक्ति के बाद हम आगे देश भक्ति और वीरता के प्रतीक आईएनएस खुखरी स्मारक की ओर बढ़े. आईएनएस खुखरी एक भारतीय नौसेना पोत का नाम है. यह एक युद्धपोत था जिसका पूरा नाम इंडियन नेवल शिप खुखरी था, इस पोत को 1971 में हुए भारत – पाक युद्ध के दौरान 9 दिसम्‍बर, 1971 को पाकिस्‍तानी पनडुब्‍बी पीएनएस हेंगोर के द्वारा तारपीडो से नष्‍ट कर दिया गया था.

यह जहाज दीव के समुद्र तट से 40 नॉटिकल मील की दूरी पर 18 अधिकारियों और 176 नाविकों सहित डूब गया था. जहाज के कप्‍तान कमांडर ऑफिसर, महेन्‍द्र नाथ मुल्‍ला के पास उस स्थिति में स्‍वंय को बचाने का अवसर था, लेकिन उस वीर सैनिक ने इनकार कर दिया और अपने पूरे चालक दल का साथ निभाया. उन्होंने अपनी लाइफ जैकेट अपने जूनियर अधिकारी को दे दी और उसे उसके साथियों के साथ जहाज से उतर जाने का आदेश दे दिया.

यहां जानने वाली बात यह है कि उस घटना के बाद भारतीय नौ सेना ने 48 घंटों के भीतर ही कराची बंदरगाह पर कब्‍जा कर बदला ले लिया था. उन्हीं जांबाज योद्धाओं की याद में एक पहाड़ी पर इस स्मारक को बनाया गया है. यहां से सूर्यास्त का नजारा भी बेहद खूबसूरत दिखाई देता है.

diu 7

सूर्यास्त देखने के बाद मैं वापस होटल की तरफ लौट गया. रात में कहीं भी जाने का प्लान नहीं था तो ड्राइवर को मैंने सुबह 09 बजे आने के लिए कह दिया. दीव का मौसम उमस और गर्मी से भरा था. इसलिए सबसे पहले आकर शावर लिया. फिर थोड़ी देर आराम किया और पैदल निकल पड़ा.

होटल समुद्र के ठीक सामने था और इसी के बगल में कई रेस्तरां गुजराती, पंजाबी, कॉन्टीनेंटल खाने के लिए लालच दे रहे थे. लगभग एक किलोमीटर की वॉक के बाद मैं एक गुजराती रेस्तरां की तरफ मुड़ गया. एक खास बात जो यहां के रेस्टोरेंट में नज़र आयी वो ये थी कि लगभग सभी जगह शराब भी मिलती ही थी.

एक केन्द्र शासित प्रदेश होने और विदेशियों के ज्यादा आने के कारण यहां शराब बाकी जगह से सस्ती भी है. और गुजरात ड्राई स्टेट होने से यहां गुजराती पर्यटक वीकेंड पर एंज्वाय करने खूब आते हैं. खैर अभी मेरे पेट में चूहे दौड़ रहे थे तो मेन्यू मंगवाया गया और ज्यादा दिमाग न लगाते हुए एक गुजराती थाली आर्डर कर दी.

इस रेस्ट्रां के सामने ही समुद्र था और वहां लहरों के टकराने की आवाज इस माहौल को और भी रोमांटिक बना रही थी. खाना खत्म करके वापस होटल पहुंचा और सो गया.

diu 1

मेरी सुबहें कुछ जल्दी शुरू हो जाती है. सुबह सनराइज देखना और ताजी हवा खाना मेरे प्रिय शगल है. लेकिन सुबह उठने का एक और कारण यह है कि यह समय फोटोग्राफी के लिये बेहद अनुकूल होता है. तो सुबह की शुरुआत हुई दीव किले से. इस किले को पुर्तगाली किले के नाम से भी जाना जाता है. इसे 1535 से 1541 ई. के दौरान अरब राज्‍यपाल के द्वारा किले के खंडहर पर बनवाया गया था.

पुर्तगाली उपनिवेशवादियों और गुजरात के सुल्‍तान बहादुर शाह ने सयुंक्‍त रूप से इस किले का निर्माण मुगल बादशाह हुमायूं की सेनाओं से अपने प्रदेश की रक्षा के लिए करवाया था. लेकिन बाद में ये पुर्तगालियों के हाथ में आ गया. यह किला 29 मीटर ऊंचा है जो सड़क के अंत तक तट रेखा पर स्थित है. तीन तरफ से समुद्र से घिरा होने और चौथी तरफ एक नहर से जुड़ा होने से यह सामरिक रूप से बहुत मजबूत है. पूरा किला दो विशाल दीवारों से घिरा हुआ है.

किले की बाहरी दीवार तटरेखा के साथ खड़ी हुई है और किले की भीतरी दीवार घुड़सवार और तोपों का गढ़ है. इसके बाद किले में दो गहरी खाइयां भी है. इस किले में एक खूबसूरत बगीचा, रास्‍ते पर बनी हुई नहर, एक जेल और एक लाइटहाउस है. यह किला विशाल सागर और उसके आसपास के क्षेत्रों का शानदार दृश्‍य प्रस्‍तुत करता है. लाइटहाउस से दीव का विहंगम दृश्य मुझे आज भी याद है.

d7.JPG

किले से बाहर निकलते ही सामने पानी के बीचोंबीच एक जेल की आकृति की इमारत दिखायी पड़ती है. इसे पानीकोटा के नाम से जानते हैं. लोग बताते हैं कि इसका इस्तेमाल कैदियों को रखने के लिए किया जाता था. किले से निकलने के बाद मुझे जाना था – सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी का चर्च.

यह दीव का सबसे पुराना चर्च है जिसे 1593 में बनाया गया था. सेंट का असली नाम गिओवन्‍नी डी पिट्रो डी बेरनाडोन था, लेकिन उनके पिता उन्‍हे फ्रांस्सिको कहकर बुलाते थे. वह एक इटैलियन कैथोलिक उपदेशक थे, जो बाद में 16 जुलाई 1228 को पोप ग्रेगरी IX के रूप में जाने गए. चर्च की इमारत बहुत आकर्षक बन पड़ी है और साथ ही इसमें पाश्चात्य कारीगरी का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. पहले इस चर्च को एक अस्पताल में बदल दिया गया था लेकिन अब यह एक म्यूजियम है.

चर्च की कुछ तस्वीरें खींचने के बाद मैंने नायदा केव्स की ओर चल पड़ा. यह दीव सिटी वाल से बाहर की तरफ है. इन्हें अगर फोटोग्राफर्स का स्वर्ग कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. लेकिन यहां तभी जाएं जब धूप अच्छी हो. गुफाओं के अंदर प्रवेश करते ही लगता है जैसे आप अलग ही दुनिया में आ गये. आपको यकीन ही नही होगा कि प्रकृति इतनी अद्भुत आर्किटेक्ट है. बीच-बीच में पड़ती सूर्य की रोशनी किसी रंगमच पर पड़ने वाली लाइट की तरह लगती है. फोटोशूट के लिए ये एक बेहद उम्दा जगह है. इनका निर्माण लंबे समय तक चली प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण हुआ है.

DSC04595

इस समय दोपहर के 12 बज चुके थे और गर्मी अपने चरम पर थी. इसलिए मैंने लंच और आराम करने के लिए वापस होटल का रुख किया. रास्ते में लगभग सारा बाजार बंद था. ड्राइवर ने बताया कि गर्मी ज्यादा होने के कारण लोग 12 बजे से लेकर 5 बजे तक दुकानें बंद करके आराम करते हैं.

शाम की शुरुआत नागोवा बीच से हुई. दीव में जितने भी बीच है उनमें सबसे शांत और खूबसूरत यही है. अपनी नाग जैसी आकृति के कारण इसे यह नाम मिला है. यहां पर आप वाटर स्पोर्ट्स, पैरासैलिंग, वाटर स्कीइंग का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां दूर – दूर तक फैली सफेद रेत और आपस में दोस्तों की तरह गलबाहियां करते होका ट्री आपका मन मोह लेते हैं.

अगर यहां आप कुछ ना भी करे और बैठकर झपकी भी मारना चाहे तो आपको अच्छा लगेगा. इसी के एक किनारे पर दीव फेस्टिवल का एक बड़ा सा साईन बोर्ड लगा है जो आपके फोटो सेशन के लिए बहुत बढ़िया रहेगा. यात्रा के बाद कुल मिलाकर यह यादें ही रह जाती है. यहां नारियल पानी पीना मत भूलिएगा. नागोवा बीच पर होका ट्री या जिंजरबर्ड ट्री काफी दिखायी देते हैं .

diu 6

ऐसा माना जाता है कि यह पेड़ दक्षिणी मिस्त्र में पाये जाते हैं. जब पुर्तगाली आये तो वे इन पेड़ों को अपने साथ यहां ले आये. इन पर लाल रंग का फल लगता है जो कि बहुत ही सख्त होता है. इसका स्वाद मीठा और खट्टा होता है. यहां इसका इस्तेमाल जलाने के लिए होता है.

मैं बहुत खुश किस्मत हूं कि अभी दीव में दीव फेस्टिवल चल रहा है. नागोवा बीच से कुछ ही दूरी पर इसका आयोजन स्थल है. यह एशिया का सबसे लंबा चलने वाला बीच फेस्टिवल है. जो कि दिसंबर से शुरू होकर फरवरी तक चलता है. इस दौरान नागोवा बीच पर फेस्टिवल विलेज बनाया जाता है. जहां रोज अलग-अलग एक्टीविटीज के साथ इंटरटेनमेंट और दीव के कल्चर को दिखाने वाले कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.

नागोवा में डूबते सूर्य को अलविदा कहते हुये मैं फेस्टिवल विलेज की तरफ बढ़ गया. अंदर दर्शक खचाखच भरे हुये थे और मंच पर काठियावाड़ी नर्तकों की जुगलबंदी देखते ही बनती थी. उसके बाद गुजरात का विश्व प्रसिद्ध गरबा नृत्य प्रस्तुत किया गया.

diu 3

विलेज में रहने के लिए स्विस टेंट की सुविधा तो थी ही, साथ ही में एक होटल भी था. अब थोड़ी रात हो रही थी तो मैंने वापस लौटने के लिए अपनी टैक्सी का रुख किया. आज का दिन काफी थकाने वाला था और गर्मी ज्यादा होने से आप कुछ ही देर में सुस्त होने लगते हैं. इसलिए डिनर आज होटल में ही कर लिया और रात्रि विश्राम के लिए चला गया.

दूसरा दिन…

दूसरे दिन की शुरुआत बीच मार्निंग वॉक से हुई. आज का पहला पड़ाव था- घोघला बीच. अगर दीव में मार्निंग वॉक करनी हो तो ये सबसे उपयुक्त बीच है. यहां की शांति और खूबसूरती के बीच रेत पर पड़ती सूरज की किरणें यह बताती हैं कि प्रकृति कितनी खूबसूरत है. आप बार – बार इन मनोहारी दृश्यों को अपने दिमाग़ के मेमोरी कार्ड में सहेज कर रखना चाहेंगे. आप चाहें तो बीच पर वाटर स्पोर्ट्स का मजा भी ले सकते हैं.

खूबसूरत सुबह के बाद हम चल पड़े सी शैल म्यूजियम की तरफ. यह दीव एयरपोर्ट के पास ही स्थित है जो नागोआ तट के पास में ही बना हुआ है. इसे मर्चेन्‍ट नेवी के एक सेवानिवृत्‍त कप्‍तान फुलबॉरी ने स्‍थापित किया है जिन्‍होंने अपनी यात्राओं के दौरान विभिन्‍न प्रकार की शैलों को इकट्ठा किया था और अब इस संग्रहालय में लोगों के देखने के लिए रखा है.

d15

माना जाता है कि यह म्यूजियम एशिया का सबसे बड़ा ऐसा म्यूजियम है जहां लगभग 2500-3000 प्रकार की सागर शैल की विशाल श्रेणियों का प्रदर्शन किया गया है. साथ ही इसे दुनिया में ऐसे संग्रहालय होने का भी दावा किया जाता है जहां पर्यटकों को शैल को करीब से देखने व बारीकी से अध्‍ययन करने के लिए एक नजदीकी स्‍कैन वाला चश्‍मा प्रदान किया जाता है जिससे वह हर शैल की खासियत को देख सकें.

संग्रहालय में कई प्रकार के शैल रखे गए है जिनमें मकड़ी, बिच्‍छु, कॉकल, मोती, सीप, जलीय शैल और अन्‍य प्रकार के शैल भी विभिन्‍न रंग, रूप, ढंग, आकार – प्रकार के है. इस संग्रहालय में शैल के बारे जानकारी देने वाली कई पुस्‍तकों को भी रखा गया है जो पूरी तरह से शैल को समर्पित अध्‍ययन सामग्री है. मेरे लिए यह बहुत ज्ञानदायक और प्रेरणादायक रहा कि किस तरह एक व्यक्ति की लगन और पैशन ने इस म्यूजियम को साकार किया.

diu 8

म्यूजियम से निकलकर खाना खाने की इच्छा हुयी. आज कुछ पुर्तगाली व्यंजन खाने का प्लान था. ड्राइवर से पूछने पर एक रेस्टोरेंट का नाम मिला – ओ’ कोनक्वेरो (कोकोनट ट्री). यह रेस्ट्रां दीव म्यूजियम के पास स्थित है. वर्तमान में यहां पुर्तगाली खाना मिलना थोड़ा मुश्किल हो गया है क्योंकि यहां की अधिकतर आबादी विदेशों मे शिफ्ट हो गयी है या फिर गोवा या दमन में. मैंने कुछ सी फूड आर्डर किया और खाकर मुझे बिल्कुल भी निराशा नहीं हुयी. पुर्तगाली डिशेज में ऑलिव ऑयल, पेरी-पेरी और अदरक का खूब इस्तेमाल होता है. खैर अब गर्मी बढ़ रही थी और वक्त था आराम करने का.

दीव में मुख्य चार बीच हैं – घोघला, चक्रतीर्थ, नागोआ और जलंधर बीच. फिलहाल मैं जलंधर बीच की तरह बढ़ रहा था. इसके नाम के पीछे कहानी है कि यहां भगवान शिव ने जलंधर नाम के दैत्य का संहार किया था. इसकी स्मृति में पत्थर का एक प्रतीक यहां बना हुआ है. यह बीच काली चट्टानों से भरा हुआ है और इसी पर आगे आईएनएस खुखरी स्मारक है. इसके पास ही एक पार्क है जहां सुकून से बैठकर सूर्यास्त देख सकते हैं. सूर्यास्त के साथ ही आज का दिन खत्म हुआ. मेरी दीव की ये यात्रा यहीं समाप्त होती है. अगली सुबह मुझे वेरावल रेलवे स्टेशन जाना है जहां से मेरी ट्रेन है.

दीव को मैं एक बेहद शांत, खुशियों से भरे द्वीप के रुप में हमेशा याद रखूंगा. इसे हम गोवा का छोटा भाई कह सकते हैं. इसकी सबसे अच्छी बात है भीड़ का कम होना. अगर आप सुकून की तलाश में हैं तो एक बार दीव ज़रुर आइये.

d25

#यायावरी ज्ञान

कब जाएं: मानसून के मौसम को छोड़कर यहां कभी भी जाया जा सकता है. वैसे यहां की हवा साल भर सुहानी रहती है. गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 25 से 36 डिग्री के बीच रहता है तो सर्दियों में यह 20 से 26 डिग्री तक रहता है. वैसे यहां पर्यटकों का आना-जाना नवंबर से फरवरी के बीच सबसे ज्यादा होता है.

कैसे जाएं : हवाई मार्ग से दीव जाने के लिए मुंबई से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं. रेल मार्ग से आना हो तो देलवाड़ा नामक स्टेशन दीव का निकटतम स्टेशन है. लंबी दूरी से आने वाले सैलानी वेरावल, जूनागढ़ या राजकोट तक रेल मार्ग से आकर वहां से बस या टैक्सी के जरिये जाते हैं.

सड़क मार्ग से आना हो तो दीव के लिए द्वारका, वेरावल, सोमनाथ, भावनगर, राजकोट और अहमदाबाद से नियमित बस सेवाएं हैं. उना नामक स्थान से बस बदल कर पहुंचना और सुगम हो जाता है. दीव एक छोटी सी सैरगाह है, इसलिए स्थानीय भ्रमण के लिए ऑटोरिक्शा और रेंटेड बाइक बेहतर साधन है. बाइक आपको बस स्टैंड और जेट्टी के पास मिल जाएगी.

भाषा : दीव में भाषा की कोई समस्या नहीं है. वहां गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषाएं बोली जाती हैं. पुर्तगाली भाषा भी वहां प्रचलन में है.

ये भी पढ़ें:

उत्तराखंड में भटकती लड़की का सफ़र…

‘ऐसा लगा जैसे अपनी बिछड़ी प्रेमिका से मिलने जा रहा हूं’

छोटे बालों वाली लड़कियों को लोग इतना घूरते क्यों हैं?

अकेले घूमने निकली लड़की के घुमंतू किस्से

एक आश्रम से दूसरे आश्रम की उम्मीद में

(आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं. अपनी राय भी हमसे शेयर करें.)

9 thoughts on “अगर आप सुकून की तलाश में हैं तो ये जगह बिल्कुल सही है

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s