गोवा: कसीनो, बीयर और समंदर के किनारों से कुछ अलग

वैधानिक चेतावनी: यदि आप समुद्र, कसीनो, बीयर और समुद्री किनारों वाले गोवा के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए सही नहीं है.

साल 1996, मानसून ख़त्म होने को था और मैं दोस्तों के साथ कॉलेज ट्रिप के लिए मौसम की तरह खुशनुमा.

कॉलेज ट्रिप के वह तीन दिन, समुद्र के किनारे, कमर तक आती लहरों में फोटो खिंचवाना, फेरी में घूमना, पंजिम में खरीदारी, खाना-पीना, भरपूर मस्ती. सारे मुख्य चर्च और बीच घूमे. गोवा की हवा में ही जैसे ख़ुशी बसती है, संगीत रहता है. पंजिम में मैं अक्सर लोगों से बात करती रहती, उनके रहन-सहन जानती. एक बस ड्राइवर ने मुझे एक कोंकणी लोक गीत भी सिखाया. उसकी दो पंक्तियाँ आज भी याद हैं…

चान्या च राति, माडा च सावड़े, सारल्य सविता माडा, चान्या ची शीतल किरणा, नाचा या गावय, घूमता च मधुर तला…

फ्लैशबैक से वापस आज ठीक 23 साल बाद, मैं सावन की घटाओं में घिरे गोवा में, फिर लौट आयी.
लेकिन आज समुद्र नहीं, उस समुद्र में मिलने वाली नदियों से मिलने और उसके किनारे रहने वाले मधुर लोगों को जानने. ख़ास तौर पर उत्तरी गोवा की बात निकले तो सनबर्न म्यूजिक फ़ेस्टिवल, खूबसूरत बीच स्पोर्ट्स, अंजुना, बाघा, वागातोर बीच, वहां की तड़क-भड़क दिमाग़ में आती है.

इसी उत्तरी गोवा में छुपा है, वहां का इतिहास, लाइफस्टाइल और संस्कृति, जो थोड़ी कोंकणी है, कुछ पुर्तगाली और बेहद प्यारी, प्यार बांटने वाली. सबको अपनाने वाली.

छोटी-छोटी घुमावदार सड़कें, दोनों ओर हरियाली और जंगल. और बहुत सारी तितलियाँ, जो आपके आंगन में ही दिख जाएंगी. 300-400 साल पुराने बड़े-बड़े, खुले हवादार पुर्तगाली घर, खूबसूरत वास्तु-कला और कुछ दूर बहती बारिश में मचलती नदी, मिज़ाज़ रूमानी होना लाज़मी है

अगर आपको रास्ते इसलिए याद हैं क्योंकि पिछले मोड़ पर वो बाटा का बोर्ड था या आगे से दांये एक रेस्टोरेंट तो यहां की सड़कों का मज़ा ऐसा नहीं है.
मुसाफिर हूं यारो
न घर है न ठिकाना…
एक राह रुक गयी
तो और जुड़ गयी
मैं मुड़ा तो साथ-साथ राह मुड़ गयी…

इस गाने के सही मायने इन्हीं सड़कों में समझ आते हैं. अपना जीपीएस बंद करो और बस चल पड़ो. मैंने कार रेंट पर ली, म्यूजिक ऑन किया और चली दी. संकरी छोटी घुमाव दार सड़कें, दोनों तरफ देखने को हरे भरे जंगल, लाल मिट्टी, उन पर बने खूबसूरत पुराने पुर्तगाली मकान जिनकी दीवारों में बसी हरी काई, बगीचे के गेट्स में चढ़ी बेल और दूसरी ओर बहती नदी एक अलग ही छटा बिखेरती है. कहीं-कहीं नदी का किनारा सड़क तक आ जाता है और वहां कई छोटी बड़ी नौकाएं हैं परफेक्ट वॉलपेपर पिक्चर! इन्हीं छोटे बड़े घरों में से कहीं आपको फिश थाली के छोटे-छोटे बोर्ड्स दिख जायेंगे. घर की बनी गोवा की मछली और भात!!

Advertisements

कुछ ऑर्गेनिक और नेचुरल ढूढ़ रहे हैं? यहां ज़रूर जाएं अन्न स्टोर
https://lbb.in/goa/ann-healthy-food-store-assagao/
जुबां पर रखते ही घुल जाने वाला मीठा गुड़, ऑर्गेनिक मंडवे का आटा, या फिर स्पिरुलिना! यह सब अन्न स्टोर, अस्सागांव, गोवा में.


गोवा जाकर कुछ ग्लोबल खाने का मन हो तो, पुराने पुर्तगाली बंगले में बने सबलाइम फाइन डायनिंग का अनुभव ज़रूर करें, कैंडल लाइट, पेंटिंग्स, रूमानी हवा और अगर मालिक खुद शेफ़ हो तो खाने में प्यार छलकता ही है.

अगले दिन मैं गयी गनपाउडर, हां सही पढ़ा! चेट्टिनाड खाना वह भी गोवा में… यहां की गनपाउडर ड्रॉट बीयर बढ़िया है और कॉकटेल्स उत्तम और खूबसूरत. लज़ीज़ बीफ फ्राई और अप्पम.

गोवा में खाने की बात करें और संगीत न हो यह कैसे हो सकता है. तो यह एक ऐसी जगह के बारे में है जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि पूरे उत्तर गोवा के साल भर में मिलने वाले लोग यहां एक ही दिन में मिल जाते हैं, खासकर कलाकार लोग. लेखक, एक्टर्स, संगीतकार, सिंगर्स, शेफ सब. छोटा सा शैक है राकेट बर्गर वैसे तो यह एक बर्गर जॉइंट है बीयर और बर्गर, लेकिन बुधवार और शुक्रवार ख़ास हैं.

बुधवार को यहां जैमिंग होती है 8 बजे के बाद गीत-संगीत का बेहतरीन माहौल रहता है, आप भी परफॉर्म कर सकते हैं. और शुक्रवार को लाइव बैंड आर्टिस्ट. बाहर तेज़ बारिश, हाथ में बीयर, साथ में दोस्त और मधुर संगीत, पैरों का थिरकना लाज़मी है.

रात दो बजे महफ़िल से वापस निकली, गाड़ी निकाली फिर उन्हीं छोटी-छोटी मुड़ती चलती सड़कों पर और साथ देने के लिए पूरे नार्थ गोवा की गायें!!

छोटी बड़ी सड़कों के किनारे की हरी-हरी घास और पत्ते खाती, बारिश के मज़े लेती और रास्ते भर मेरा साथ देती, गोवा की गायें!!

(यह लेख आस्था डबराल ने अपनी गोवा यात्रा के अनुभवों पर लिखा है. आस्था पेशे से डिजाइनर हैं और दिल से घुमक्कड़.)

Advertisements

Read Also: ट्रिप यादगार बनाने के लिए बहुत काम के हैं ये 5 टिप्स

Read Also: कम खर्चे में घूम सकते हैं ये 5 हिल स्टेशन

Read Also: माजुली: भारत में एक खूबसूरत रिवर आइलैंड

Read Also: पहाड़, झरना और बादलों का स्पेशल कॉम्बो है ये जगह

(आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं. अपनी राय भी हमसे शेयर करें.)

3 thoughts on “गोवा: कसीनो, बीयर और समंदर के किनारों से कुछ अलग

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s