भारतीय अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव (International Film Festival of India, #IFFI50) का आयोजन नवंबर 2019 में गोवा में हुआ था. पढ़िए इस सफ़र की दिलचस्प बातें.

हम गोवा एक दिन पहले ही पहुंच गए थे. मैंने चार महीने पहले अपने दोस्त को IFFI 2019 में साथ ले चलने को कह दिया था. मेरे लिए इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में पहुंचना बड़ी बात थी. हालांकि जाने से पहले जब मैंने इसके बारे में जानकारी इकट्ठा करनी शुरू की, तो पता चला कि चार दिन बाद (9-10 दिन का महोत्सव) ”इफी के स्टैच्यू पर कुत्ते भी पेशाब कर के चले जाते हैं”. लेकिन मेरा मन नहीं मान रहा था. जो भी हो. जाऊंगा. और चला आया.
किसी ने बताया कि इनॉगरेशन में अमिताभ बच्चन और रजनीकांत आएंगे. सोचा चलो उनको लाइव देख लूंगा. I don’t know कि कितने लोग मेरा बैकग्राउंड जानते हैं, लेकिन मैं जिस जगह से आता हूं, वहां के लोग राज अमिताभ को टीवी पर देखते तो हैं लेकिन सातों जनम में उनको लाइव देखने के बारे में सोचते भी नहीं हैं.
सुबह 9 बजे.
पिछली रात मैं अच्छी नींद सोया था. मैं मुंबई होते हुए, मरीन ड्राइव पर एक दिल-अजीज की गोद में सोता हुए गोवा पहुंचा था. मुझे उस मैसेज की परवाह नहीं थी कि इनॉगरेशन के पॉसेस गोवा सरकार पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर बांट रही है, जिसमें रजनी और अमित जी आ रहे हैं.
मैं आराम से नौ बजे उठा. दोस्त ने कहा चलिए अब यहां चलते हैं. (रात हमने गोवा के यूपी-बिहार से आने वाले मजदूरों के साथ, उन्हीं के अंदाज में गुजारी थी. – इस पर चर्चा विस्तार से कभी और. क्योंकि यह पूरा विषय ही अलग है). हम वहां से नहा-धो कर बैग उठाकर चल दिए.

इफी के मीडिया सेंटर 10:30 बजे पहुंचे. तब तक अपने बैग-सामान स्तरीय होटल के कमरे में रख चुके थे. इफी के मीडिया सेंटर में लाइन लगी थी, इनॉगरेशन पासेस के लिए. कतार में खड़े हुए, पासेस इकट्ठा किए.
11 बजे
तभी ओपनिंग सेरेमनी में स्क्रीनिंग वाली फिल्म Despite The Fog की प्रेस कॉन्फ्रेंस होने लगी. फिल्म के डायरेक्टर गोरान पास्कलजिविक ने इतने प्यार से अपनी बातें रखीं और शाम को अपनी फिल्म देखने का आग्रह किया कि तय कर लिए इनकी फिल्म देखी जाएगी.
1 बजे
फिल्म ‘दृश्यम’
में जिस रेस्टोरेंट में अजय देवगन अपने परिवार को खाना खिलाने लाते हैं उसी रेस्टोरेंट में खाना खाकर उस स्टेडियम पहुंचे जहां इनॉगरेशन 3:00 बजे होने वाला था. लेकिन ऑर्गनाइजर ने ही मीडिया वालों के लिए जो बस की थी वो 3:30 के बाद आई.
4 बजे
जब हम श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में पहुंचे तो करन जौहर स्टेज संभाले हुए थे. सीटें भर रही थीं. हमने पता किया तो मीडिया लॉन्ज में गैर मीडिया लोग अड्डा जमा चुके थे. हम थोड़ा लड़े और सबसे वीआईपी लॉन्ज में जा पहुंचे. गोवा आने से पहले मैंने अपने एक दोस्त से डीएसएलआर मांग लाया था. उसने सितारों के एकदम करीब जाने की अनुमति दिला दी. मेरा टारगेट वो शख्स था, जिसके बारे में अक्सर मैं लिखा-पढ़ा करता हूं. मैंने जुगाड़ देखकर जाकर उसी के बगल अड्डा जमा लिया.

हालांकि मुझे लगातार ये मेंनटेन रखना था कि जिस ऑर्गनाइजेशन को मैं रिप्रजेंट करता हूं, उसकी साख को बिना नुकसान पहुंचाए निजी हित को भी साध लूं. मैंने बड़ी चालाकी जैसे ही मैंने अमिताभ के साथ सेल्फी लेनी चाही, साथी फोटोग्राफर बोले, हाऊ स्मार्ट यू आर. गुड आइडिया.

मुझे ये लोग कमतर आंक रहे हैं. पूरे शो में दूसरी सेल्फी नहीं ली. बस उस शख्स के करीब बैठकर उसे निहारता रहा. वो शख्स था अमिताभ बच्चन. एक सीट छोड़ के थलाइवा रजनीकांत. लेकिन जब रजनी स्टेज पर गए तो उन्होंने कहा, “मेरे इंसिपरेशन अमिताभ बच्चन”. तब पूरा स्टेडियम गूंज गया.
जब शंकर महादेवन ने अपनी प्रस्तुति पूरी की तो सबलोग बैठकर तालियां बजा रहे थे. तभी एक ऊंची पर्सनॉलिटी अपनी सीट से उठी और उठकर तालियां बजाने लगी. उनको देखते ही पूरा स्टेडियम खड़ा हो गया, वो शख्स थे अमिताभ बच्चन. शंकर खुद को मिल रहे स्टैंडिंग ओवेशन से गदगद थे और मैं अमिताभ के बगल में खड़े होकर.

(गोवा की ये यात्रा की है जनार्दन पांडेय ने. जनार्दन पेशे से पत्रकार हैं. सिनेमा में गहरी दिलचस्पी है और घुमक्कड़ी बेहद पसंद है.)
यह भी पढ़ें
गोवा: कसीनो, बीयर और समंदर के किनारों से कुछ अलग
ट्रिप यादगार बनाने के लिए बहुत काम के हैं ये 5 टिप्स
कम खर्चे में घूम सकते हैं ये 5 हिल स्टेशन
माजुली: भारत में एक खूबसूरत रिवर आइलैंड
पहाड़, झरना और बादलों का स्पेशल कॉम्बो है ये जगह
(आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं. अपनी राय भी हमसे शेयर करें.)