अरुणाचल की कहानियाँ- 6: अनीनी, इदु मिश्मि और उनका स्लेव कल्चर

अजनबीयत और परायेपन की दीवार ढाहने में नार्थ-ईस्ट की लड़कियों का कोई सानी नहीं। चूल्हे के ठीक ऊपर सामान रखने की जगह पर बाँस के दो टुकड़े पड़े थे। मुझे नहीं पता था कि एक में जंगली चूहा और दूसरे में गिलहरी को पकाकर रखा गया है। मेरी होस्ट बबया की बहन ने मुझसे चुहलबाजी…… Continue reading अरुणाचल की कहानियाँ- 6: अनीनी, इदु मिश्मि और उनका स्लेव कल्चर

अरुणाचल की कहानियाँ-05 : अरुणाचल के इस गाँव का नाम तिवारी गाँव क्यों पड़ा ?

मैंने निष्कर्ष निकाला कि बिहार-यूपी से आए लोगों की जनसंख्या यहाँ बहुत ज़्यादा होगी और इसी कारणवश यह नाम पड़ा होगा. लेकिन यहां मामला कुछ और निकला.

अरुणाचल की कहानियाँ-04 : मोबाइल नेटवर्क और पेसा से मुलाकात

कहानी सुनाने के दौरान बार-बार उस पहाड़ की ओर उंगली दिखाते जो खाली पड़ा था, जिस पर न भारत के सैनिक थे और न ही चीन के. लगता था मानों अपनी ज़िंदगी की ओर इशारा कर रहे हों.

अरुणाचल की कहानियाँ- 03  : भारत का आख़िरी नहीं, बल्कि पहला गाँव

दुनिया की कुछ सबसे ख़ूबसूरत जगहों और पुलों से गुज़रकर, वालोंग से क़रीब 30 किलोमीटर दूर जब काहो पहुँचा तो लगा कि ज़िंदगी में जितनी आर्मी आज तक नहीं देखी, उससे ज़्यादा अभी ही देख ली.

अरुणाचल की कहानियाँ- 02  : बैटल ऑफ़ वालोंग और बिहार रेजिमेंट

सेना के बैरियर पर मुझे रोक लिया गया और रजिस्टर में एंट्री करवाई गई। ऐसी किसी संवेदनशील जगह पर पहली बार बिहार रेजिमेंट से सामना हुआ.

अरुणाचल की कहानियाँ- 1: वो घर जो रेलगाड़ी के डिब्बे जैसा था

नागालैंड के बाद मैंने अरुणाचल की यात्रा भी इसी नोट पर शुरू की थी कि ग्रामीण और अलग-अलग क़बीले के जीवन को पास से देखना है.

लैंसडाउन के रास्ते पर इतनी ख़ास क्यों है ये आम सी जगह?

दिल्ली और आस-पास से वीकेंड के लिए निकलने की यह एक बढ़िया और आरामदेह जगह है.

अलवर, भानगढ़ और सरिस्का की सैर… आओ कभी हवेली पर

भानगढ़ किला, हां वही राजस्थान का भानगढ़ जिसके भूतिया होने की कहानी प्रचलित है और जहां सूर्यास्त के बाद अंदर जाना मना है.  

गोवा का ये रंग देखा है आप ने?

ये रंग शायद गोवा का रंग है. जो तीखी धूप में और चटकीला हो जाता है. ये रंग आंखों को एक खास तरह का सूकून देता है.

गोवा का पहला दिन, अमिताभ बच्चन और रजनीकांत

एक ऊंची पर्सनॉलिटी अपनी सीट से उठी और उठकर तालियां बजाने लगी. उनको देखते ही पूरा स्टेडियम खड़ा हो गया, वो शख्स थे अमिताभ बच्चन.

गोवा: कसीनो, बीयर और समंदर के किनारों से कुछ अलग

फ्लैशबैक से वापस आज ठीक 23 साल बाद, मैं सावन की घटाओं में घिरे गोवा में, फिर लौट आयी. लेकिन आज समुद्र नहीं…

क्या नर्मदा मैया कोई संकेत दे रही थीं?

मैं इसके लिए पहले से ही तैयार था. मैं पूरे दिन उसके बारे मे सोचता रहा. उसी की वजह से हम आज इस यात्रा पर थे.