अजनबीयत और परायेपन की दीवार ढाहने में नार्थ-ईस्ट की लड़कियों का कोई सानी नहीं। चूल्हे के ठीक ऊपर सामान रखने की जगह पर बाँस के दो टुकड़े पड़े थे। मुझे नहीं पता था कि एक में जंगली चूहा और दूसरे में गिलहरी को पकाकर रखा गया है। मेरी होस्ट बबया की बहन ने मुझसे चुहलबाजी…… Continue reading अरुणाचल की कहानियाँ- 6: अनीनी, इदु मिश्मि और उनका स्लेव कल्चर
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अरुणाचल की कहानियाँ-05 : अरुणाचल के इस गाँव का नाम तिवारी गाँव क्यों पड़ा ?
मैंने निष्कर्ष निकाला कि बिहार-यूपी से आए लोगों की जनसंख्या यहाँ बहुत ज़्यादा होगी और इसी कारणवश यह नाम पड़ा होगा. लेकिन यहां मामला कुछ और निकला.
अरुणाचल की कहानियाँ-04 : मोबाइल नेटवर्क और पेसा से मुलाकात
कहानी सुनाने के दौरान बार-बार उस पहाड़ की ओर उंगली दिखाते जो खाली पड़ा था, जिस पर न भारत के सैनिक थे और न ही चीन के. लगता था मानों अपनी ज़िंदगी की ओर इशारा कर रहे हों.
अरुणाचल की कहानियाँ- 02 : बैटल ऑफ़ वालोंग और बिहार रेजिमेंट
सेना के बैरियर पर मुझे रोक लिया गया और रजिस्टर में एंट्री करवाई गई। ऐसी किसी संवेदनशील जगह पर पहली बार बिहार रेजिमेंट से सामना हुआ.
अरुणाचल की कहानियाँ- 1: वो घर जो रेलगाड़ी के डिब्बे जैसा था
नागालैंड के बाद मैंने अरुणाचल की यात्रा भी इसी नोट पर शुरू की थी कि ग्रामीण और अलग-अलग क़बीले के जीवन को पास से देखना है.