हमेशा की तरह आज भी हमारे पास खाने को कुछ नहीं था..

यह हमारे लिए पहली बार था कि हम किसी के घर के सामने खड़े हो कर खाना मांग रहे थे. उस परिवार ने हमसे कुछ प्रश्न पूछे, हमारी निगाह नीची थी.

यहां दिखते हैं ज़िंदगी के असली रंग

ज़िंदगी के असली रंग घुमक्कड़ी की उन पगडंडियों पर दिखते हैं जहां हम भटक रहे होते हैं ...