हमेशा की तरह आज भी हमारे पास खाने को कुछ नहीं था..

यह हमारे लिए पहली बार था कि हम किसी के घर के सामने खड़े हो कर खाना मांग रहे थे. उस परिवार ने हमसे कुछ प्रश्न पूछे, हमारी निगाह नीची थी.

‘इस यात्रा में हमने जो चाहा हमारी हर इच्छा पूरी हुई’

हमारी हर इच्छा मांगने के साथ ही पूरी होती गयी. मैंने यह बात जब लोगों को बतायी तो वे मुस्कुराते हुये बोले – “आगे-आगे देखो होता है क्या?”