मैं इसके लिए पहले से ही तैयार था. मैं पूरे दिन उसके बारे मे सोचता रहा. उसी की वजह से हम आज इस यात्रा पर थे.
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किसी नदी को पैदल पार करने का सुख…
लोग हमें लेकर बहुत ही उत्सुक थे. वे जानना चाहते थे कि हमारे पास क्या-क्या सामान है? बॉटल में क्या रखा है?
‘ऐसा लगा जैसे अपनी बिछड़ी प्रेमिका से मिलने जा रहा हूं’
मैं सोच रहा हूं कि लोग कभी-कभी अपनी इच्छाओं की पूर्ति चक्कर में दूसरों की निजता तक को भूल जाते हैं.
‘इस यात्रा में हमने जो चाहा हमारी हर इच्छा पूरी हुई’
हमारी हर इच्छा मांगने के साथ ही पूरी होती गयी. मैंने यह बात जब लोगों को बतायी तो वे मुस्कुराते हुये बोले – “आगे-आगे देखो होता है क्या?”
‘रोती हुई उस लड़की को मैं गले लगाना चाहता था लेकिन…’
…सिक्के का दूसरा पहलू कुछ और है. क्या हम इसलिए निंदा नहीं करें कि सबकुछ ठीक है और हमारे पक्ष में है?
नर्मदा परिक्रमा: जीवन बदल देने वाली दवा है ये…
यहां आने के बाद से अभी तक एक बार भी मैंने अपनी बांसुरी को छुआ नहीं. मैं इसे नहीं बजा पाने को मिस कर रहा था.
नर्मदा परिक्रमा: ”ऐसी चिलम मैंने ज़िंदगी में पहली बार पी थी…”
हर आने-जाने वाला हमारे बारे में जानने को उत्सुक था क्योंकि हम दो अजीब दिखने वाले प्राणियों के साथ एक विदेशी महिला भी थी.
नर्मदा परिक्रमा: ”यहां हमें भगवान की तरह ट्रीट किया गया”
मुझे लगा था कि सांप वाली कहानी आज के लिए पर्याप्त होगी. लेकिन कुछ और कहानियां अभी बाकी थीं.
नर्मदा परिक्रमा: एक मज़ाकिया, दिलचस्प और प्यारे संन्यासी का साथ
हर कोई हैरान है कि इतनी कम उम्र में हम ऐसे सफ़र कर रहे हैं वो भी एक विदेशी लड़की के साथ…