टाइम-मशीन आज हमें सिंधिया परिवार की शानोशौकत दिखाने ले जाने वाली है.
सुबह उठकर किले की सुहानी यादों को ताज़ा कर ही रहे थे कि पेट की घड़ी ने ‘नाश्ता-टाइम’ का अलार्म बजा दिया. हम सबने स्नूज़ बटन दबाकर आज का सफ़र प्लान किया.
नया बाज़ार कम्पू के मशहूर अग्रवाल पोहा-जलेबी खाकर हम निकल पड़े राजा-रजवाड़ों के जीवन की झलक देखने. जयविलास पैलेस की ओर. प्रवेश-शुल्क, कैमरा-शुल्क सब देकर, मोबाइल और अन्य सामान लॉकर्स में रखवाकर हम आगे बढ़े.
पहली नज़र में दूर से महल, एक ठेठ महाराष्ट्रियन बाड़ा लगा. लेकिन महल परिसर में प्रवेश करते ही पश्चिमी वास्तुकला की अनूठी अनुभूति हुई.
जयविलास महल के केवल एक हिस्से को ही म्यूजियम का रूप दिया गया है, बाकी हिस्सों में आमजन का प्रवेश वर्जित है.
महाराजा जयाजीराव सिंधिया के द्वारा निर्मित इस महल में प्रवेश करते ही सबसे पहले पेंटिंग्स से रूबरू कराया जाता है सिंधिया राजवंश के राजाओं, राजमाताओं और राजकुमारों से.
आगे चलकर एक हॉल से दूसरे फिर तीसरे और ऐसे ही कई हॉल्स और गलियारों में दिखाई देती है राजशाही रौनक.
एक हॉल जो माधव राव सिंधिया को समर्पित है. उनकी पेंटिंग्स, फोटोज़, क्रिकेट एवं गोल्फ किट, नागरिक उड्डयन एवं रेलवे मंत्रालय के मोमेंटो और मंत्री जी द्वारा दैनिक उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुओं से, जो देखने से ही बेशकीमती लग रही थी जैसे पेन और लाइटर. माधव राव की एक काफ़ी बड़ी पेंटिंग उनकी जीवन शैली की दास्तां बयाँ कर रही थी.
एक हॉल शीशों से सजा था, सिर्फ़ शीशों से और वहां एक विशाल झूला था जिसमें नंदगोपाल झूला झूल रहे थे. गलियारों में रखे थे अनेक मिनिएचर, जो कला के एक अलग आयाम का परिचय दे रहे थे.
राजपरिवार के कपड़े, गहने से लेकर जंग में इस्तेमाल में लाए जाने वाले छुरी, तलवार, बन्दूक, तोप देखकर हम दंग थे.
जय विलास महल का मुख्य आकर्षण है दरबार हॉल. कहते है इस कक्ष की मजबूती 12 हाथियों को चढ़ाकर जांची गयी थी. सिंधिया राजदरबार द्वारा विदेशी राजाओं का स्वागत इस कक्ष में किया जाता था, जो काफ़ी आलीशान था.
कमरे की दीवारों पर बेहद खूबसूरत कारीगरी थी जिसे सोने के पानी से रंगा गया था. एशिया का सबसे बड़ा कारपेट जो कि कई हज़ार बंदियों द्वारा बनाया गया था, दरबार हॉल की शोभा बढ़ा रहा था.
हमने राजशाही ठाठ का एक और चेहरा देखा, जो कुछ अजीब है. बड़े पैमाने पर बाघों का शिकार. ये राजाओं के शौक भी अजीब होते थे. नहीं?
विश्व प्रसिद्ध डाइनिंग हाल और ट्रेन
शाकाहारी और मांसाहारी मेहमानों के लिए दो अलग विशाल टेबल लगी हैं. मांस-मदिरा टेबल पर चलने वाली ट्रेनों से परोसे जाते हैं. मेरी बात मानिए! ये सारे राजसी ठाठ-बाट देखने में एक अजीब से सुखद आनंद की अनुभूति होती है.
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राइटर के बारे में –
शिवानी पेशे से बैंकर हैं. ट्रैवलिंग उनका जुनून है और दिल से वो खुद को राइटर मानती हैं.
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