अमरकंटक: मध्य प्रदेश के दिल में बसी ऐसी जगह जिससे कभी मन नहीं भरता.

हम सभी जीवन के सफ़र में आगे बढ़ रहें हैं. हर सांस के साथ, हमेशा.. यह सफ़र कई बार नजर आता है और कई बार इसे देखने लिए दूसरे सफ़र पर भी निकलना पड़ता है.

जीवन की यात्रा के दौरान इस बार मौका मिला अमरकंटक को देखने का. यूँ तो मध्य प्रदेश में देखने के लिए बहुत सारी जगहें हैं, चाहे वह बांधवगढ़ की टाइगर सफारी हो या ओरछा और मांडू का किला.

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हर जगह अपनी अलग कहानी कहती है.इसलिए आज हम आपको ले जा रहे हैं मध्य प्रदेश की ऐसी खूबसूरत जगह के सफ़र पर जहाँ से वापस आने का आपका मन कभी नहीं होगा.

यूँ तो मेरा मुंडन भी इसी पावन धरा पर हुआ था. लेकिन अमरकंटक का अद्भुत इतिहास और मेरी पहली अमरकंटक यात्रा दोनों स्मृति में थोड़े धुंधले हैं. जिसके सिर्फ फोटो ही शेष हैं. पर कई बार और जाने के बाद भी मैं यह दावे से कह सकती हूँ की ये ऐसी जगह है जिससे आपका मन कभी नहीं भरता.

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मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में मैकल पहाड़ो में बसा अमरकंटक. जहाँ आकर मन, मस्तिष्क और आत्मा प्रफुल्लित हो जाते हैं. इस जगह के सान्निध्य मात्र से मानसिक तनाव और शारीरिक थकान दूर हो जाती है. महाकवि कालिदास तक ने “मेघदूत” में इस जगह में रुकने के लिए कहा है. इसलिए आपको इस रमणीय स्थल पर कुछ दिन जरूर गुजारने चाहिए.

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इस जगह की धार्मिक महत्ता इससे भी लगायी जा सकती है की भगवान शिव ने धरती पर परिवार के साथ रहने के लिए, कैलाश और काशी के बाद अमरकंटक को चुना. माना जाता है कि भगवान शिव ने नर्मदा को अद्भुत पवित्र शक्तियों के साथ आशीर्वाद दिया था, इसलिए लोगों यह आस्था है कि नर्मदा के पवित्र जल में डुबकी लगाने मात्र से सभी पापों का नाश हो जाता है.

अमरकंटक, जिसे पुराने समय में “आम्र कूट” भी कहा जाता था. संस्कृत में अमरकंटक का अर्थ है ‘शाश्वत स्रोत’. पुराणों में वर्णित सप्त्कुल पर्वत में से एक, यह ऋक्षपर्वत का एक भाग है. यह समुद्र तल से लगभग 2500 से 3500 फीट की उंचाई पर है. यह जगह अपने तीर्थ महत्व, श्राद्ध स्थल और सिद्ध भूमि के रूप में प्रसिद्द है. लगभग 5 नदियों का उद्गम यहाँ से होता है, जिनमें से सोन, नर्मदा, जुहिला नदियाँ प्रमुख हैं. हरियाली की चादर ओढ़े यहाँ के पर्वत बरबस ही मन मोह लेते हैं. पूरे साल बादलों से अठखेलियाँ करने वाले यहाँ के घने जंगल दुर्लभ जड़ी बूटियों से भी भरे हैं. जो की इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं.

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अमरकंटक अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए हर जगह जाना जाता है. साथ ही यह अपनी ऐतिहासिक विरासत को भी संजोये हुए हैं. कहते हैं कि नर्मदा के सम्मान में जगतगुरु शंकराचार्य ने अमरकंटक में नर्मदाष्टक लिखा था.

वहीं एक पौराणिक कहानी के अनुसार, जब भगवान शिव ने आग से त्रिपुरा को नष्ट कर दिया, तो राख अमरकंटक पर गिर गई, जो हजारों शिवलिंगों (शिव के प्रतीक) में बदल गई. यह भी माना जाता है कि इस स्थान पर जिस किसी की भी मृत्यु होती है उसे स्वर्ग में स्थान दिया जाता है.

अमरकंटक पांडवों से लेकर विदेशी शासकों और आधुनिक काल तक कई साम्राज्यों का साक्षी रहा है. यहाँ के विभिन्न मंदिर विभिन्न शासकों के युग का बखान करते हैं.1800 के दशक में यहाँ नागपुर के राजा का शासन था जो कि बाद में ब्रिटिश हुकूमत के हाथ चला गया.

 विध्यांचल, सतपुड़ा और मैकल पर्वतश्रेणियों की शुरुआत भी यहीं से होती है. मैकल पर्वत श्रेणी की गोद में बसा अमरकंटक, मैकल पर्वत की सबसे ऊंची श्रृंखला है.

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 अमरकंटक के दर्शनीय स्थल-

मेरी अमरकंटक यात्रा के दौरान अमरकंटक बारिश से सराबोर था इस कारण कई जगह मैं नहीं जा सकी, वैसे मैंने इससे पहले अमरकंटक की खूबसूरती को जी भर जिया है, लेकिन आप जब यहाँ जाएँ तो इन खूबसूरत स्थानों को देखना न भूलें-

नर्मदा कुंड- नर्मदा नदी का उद्गम स्थल जिसके दर्शन के बिना आपकी यह यात्रा अधूरी मानी जाएगी. यह कुंड 16 प्राचीन पत्थर के मंदिरों से घिरा हुआ है, जिनमें से माँ नर्मदा मंदिर, शिव मंदिर, अन्नपूर्णा माता मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, श्री राम जानकी मंदिर आदि प्रमुख हैं. शाम को होने वाली माँ नर्मदा की आरती में पूरा आसमान नर्मदा मैया के सम्मान में भगवा हो जाता है. सूर्यास्त के समय होने वाली बादलों की विहंगम खूबसूरती आपको अलग अनुभूति प्रदान कराएगी. इस खूबसूरत दृश्य को जीना बिल्कुल भी ना भूलें.

कलचुरी काल के प्राचीन मंदिर- 1042 से 1072 ईस्वी में बने यह मंदिर कलचुरी कालीन राजा कर्णदेव के शासन की समृद्ध वास्तुकला को दर्शाते हैं. नर्मदा मंदिर के ठीक पीछे इन मंदिरों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देख रेख में रखा गया है. यहाँ पर जाने के लिए आपको ऑनलाइन टिकट लेना होगा. वास्तुकला और इतिहास से सुसम्पन्न यह जगह आपको अलग दुनिया में ले जाएगी.

माई की बगिया – नर्मदा मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर दूरी पर स्थित आस पास के जंगलों को अपने दृश्यों को खुद में समेटती यह खूबसूरत जगह आत्मिक शांति का अनुभव कराती है.

इस जगह के बारे में कहा जाता है की शिव की पुत्री नर्मदा यहाँ फूलों को चुना करती थी.

  यहाँ के बन्दर हाथों में पकड़ी खाने-पीने की चीज़ों के लिए बाट लगाये रखते हैं. और कई बार आपको परेशान कर सकते हैं. इसलिए सावधानी बरतें.

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कपिलधारा वाटरफाल- नर्मदा कुंड से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित यह वाटरफाल 100 मीटर की ऊंचाई से गिरता है. यह काफी लोकप्रिय और सुन्दर भी है. घने जंगल और प्रकृति के नज़ारे आपका मन मोह लेते हैं. धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में कहा गया है की कपिल मुनि यहाँ रहते थे और साँख्य दर्शन की रचना भी उन्होंने इसी स्थान पर की थी. कपिलधारा के पास ही कपिलेश्वर मंदिर भी बना हुआ है. यहाँ कई गुफाओं में साधू संत ध्यान मुद्रा में देखे जा सकते हैं.

सोन मुढ़ा – यह सोन नदी का उद्गम स्थल है. यहाँ से घाटी और जंगल से ढकी पहाड़ियों के सुन्दर दृश्य देखने को मिलते हैं. सोन मुढ़ा,नर्मदा कुंड से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर मैकल पर्वत के किनारे पर है. सोन नदी 100 फीट ऊँची पहाड़ी से झरने के रूप में यहाँ से गिरती है और उत्तर की ओर बहती हुई गंगा नदी में मिल जाती है.

सोन नदी की सुनहरी चमकीली रेत के कारण इस इसका नाम “सोन” पड़ा.

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दूधधारा वाटरफाल-  यह झरना भी काफी लोकप्रिय है. इस झरने का पानी ऊंचाई से गिरने के कारण दूध के सामान प्रतीत होता है. फोटोग्राफी के लिए ये जगह उपयुक्त है. साथ ही यहाँ झरने की आवाज आपको अलग ट्रांस में ले जाएगी.

कबीर चबूतरा- अमरकंटक से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित  यह जगह अद्भुत शांति से लबरेज है. यहाँ  संत कबीर ने कई सालों तक निवास किया और ध्यान लगाया. कबीर चबूतरे के पास ही कबीर झरना भी है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीचों बीच यह जगह आपको आत्मिक शांति महसूस कराएगी.

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वैसे तो अमरकंटक का हर रास्ता अपने आप में बहुत खुबसूरत है, जब यहाँ की आद्र हवाएँ आपके चेहरे से हो कर मन मस्तिष्क में अपना असर करती हैं तो लगता है रोम – रोम जी उठा है.

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इन सभी के अलावा सर्वोदय दिगम्बर जैन मंदिर, श्री यंत्र मंदिर, प्राचीन जलेश्वर मंदिर, अमरेश्वर मंदिर आदि जगहें भी बहुत सुन्दर और महत्वपूर्ण है.

नर्मदा और सोन की प्रेम कहानी

नर्मदा और सोन, इसकी भी अनूठी कथा प्रचलित है.  दोनों विपरीत दिशा में बहते हैं.  शोणभद्र ( सोन ) पुरुष और नर्मदा स्त्री. दोनों का जन्म अमरकंटक में हुआ, जहाँ दोनों साथ पले बढ़े. इन दोनों में अगाध प्रेम था.प्रेम के बाद दोनों के विवाह की तैयारियां भी की गयी. लेकिन तभी नर्मदा को पता चल गया था कि शोणभद्र जुहिला नामक दासी से प्रेम करते हैं.  इस बात पर नर्मदा एक दम रूठकर आजीवन कुंवारी रहने की कसम लेकर विपरीत दिशा में चल दीं. शोणभद्र को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो वे कुछ दूर तक नर्मदा को मनाने के लिए उसके पीछे-पीछे दौड़े, लेकिन नर्मदा नहीं मानी और उलटी दिशा में ही बहने लगी.

नर्मदा के संबंध में अनूठी बात यह है कि यह भारत की उन कुछ नदियों में से है, जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है. पेड़ों की जड़ से निकला जल ही नर्मदा की अथाह जलराशि है. पुण्यदायिनी मां नर्मदा की जयंती प्रतिवर्ष माघ शुक्ल सप्तमी को ‘नर्मदा जयंती महोत्सव’ के रूप में मनाई जाती है.

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 अमरकंटक पहुँचने के लिए पेंड्रा रोड या अनूपपुर रेलवे स्टेशन सबसे निकट रेल मार्ग हैं. जहाँ से अमरकंटक जाने के लिए आपको बस/ जीप/ कार उपलब्ध मिलेंगे. यहाँ रहने के लिए आपके बजट अनुसार होटल और रिसोर्ट भी उपलब्ध हैं. खाने के लिए भी बहुत सारे विकल्प हैं.

जाने के लिए बेहतरीन समय – इस जगह का मौसम साल भर खुशनुमा बना रहता है. आप कभी भी आइये, बादलों से ढंकी पहाड़ियां आपको हमेशा देखने मिलेंगी. फरवरी के समय होने वाला नर्मदा महोत्सव आपके लिए जाने का बेहतरीन समय हो सकता है.

घने हरे भरे जंगलों से हो कर अमरकंटक पहुंचना अपने आप में रोमांचक और खूबसूरत सफ़र है. ठंडी हवाएं, अंधे मोड़, खाइयाँ, जंगल की खुशबु इस सफ़र को और जीवंत करती है.

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13 thoughts on “अमरकंटक: मध्य प्रदेश के दिल में बसी ऐसी जगह जिससे कभी मन नहीं भरता.

  1. बहुत सुंदर, जब भी पढ़ती हूं तो लगता है इतना अच्छा भी कोई लिख सकता है क्या

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  2. आपके द्वारा बहुत ही खूबसूरत लिखा है, लेख में अमरकंटक के बारे में पूरी जानकारी के साथ साथ अनुभव भी साझा किए है, पढ़कर लगा मानो छुट्टियां लेकर घूमने चला जाऊं, आपने बताया कि खूबसूरत पहाड़ियों और मंदिरों से घिरा हुआ मध्यप्रदेश का अमरकंटक, यह घूमने के लिए है बेस्ट जगह है, अमरकंटक एक सुंदर तीर्थ स्थल है, आपका यह लेख किसी को भी घूमने के लिए आकरषित कर देगा, बहुत ही सुंदर लिखा है, आपके लेख को मैं और भी लोगो को भेजूंगा ताकि सभी को जानकारी मिले
    धन्यवाद आपका दिन शुभ हो

    Liked by 1 person

  3. तो त्वदीय पाद पंकजम पंकजम नमामि देवी नर्मदे.
    बहुत अच्छा लिखती हैं आप. लेखन शैली बहुत अच्छी है आपकी. पाठक का निरंतरता बनी रहती है.

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